Garments exported: यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट सिस्टम (CBAM) के अंतर्गत, भारत से यूरोपीय संघ को निर्यात की जाने वाली ऊर्जा अधिकतम वस्त्रों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। इसकी जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई थी जो बुधवार को जारी की गई। स्वतंत्र अनुसंधान संस्थान केंद्र फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, यह कर बोझ भारतीय घरेलू उत्पाद कुल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.05 प्रतिशत होगा। इस निष्कर्षण का आधार तीन वर्षों (2021-22, 2022-23 और 2023-24) के डेटा पर है।
CBAM, यानी कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट सिस्टम, यूरोपीय संघ का प्रस्तावित कार्बन टैक्स है जो ऊर्जा-प्रवर्धन उत्पादों पर लगाया जाता है जैसे कि लोहा, स्टील, सीमेंट, उर्वरक और एल्यूमिनियम, जो देशों जैसे भारत और चीन से आयात किए जाते हैं। इस कर का मूल्यांकन इन वस्त्रों के उत्पादन के दौरान होने वाली कार्बन इमिशन पर आधारित होता है। यूरोपीय संघ इसे यहां तक कि यह प्रणाली घरेलू उत्पादों के लिए एक समान खेल क्षेत्र प्रदान करती है तथा इसके अंतर्गत कठोर पर्यावरणीय मानकों का पालन करना अनिवार्य होता है। इसके परिणामस्वरूप, यह आयात से उत्पन्न कार्बन इमिशन को कम करने में मदद करती है।
लेकिन विकासशील देशों को खासकर इस बात का चिंता है कि यह उनकी अर्थव्यवस्थाओं को क्षति पहुंचा सकता है और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार करना बहुत महंगा बना सकता है। इसके विरोध में, यह कई समूही सभाओं में विवाद को उत्पन्न कर चुका है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन भी शामिल है। विकासशील देश यह तर्क देते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन नियमों के अनुसार, देशों को नहीं बताया जा सकता कि दूसरों को अपनी उत्पादन में इमिशन कम करने के लिए कैसे कार्रवाई करनी चाहिए।
अवंतिका गोस्वामी, जो CSE के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम की अगुआई करती हैं, ने बताया कि 2022-23 में भारत के CBAM के परिप्रेक्ष्य में आने वाले वस्त्रों के निर्यात का EU में कुल माल निर्यात का 9.91 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि 2022-23 में भारत के एल्यूमिनियम का 26 प्रतिशत और लोहे और स्टील का 28 प्रतिशत निर्यात EU को किया गया था। भारत द्वारा वैश्विक रूप से निर्यात की गई कुल माल के अंतर्गत, CBAM के परिप्रेक्ष्य में आने वाले वस्त्रों का EU में निर्यात केवल 1.64 प्रतिशत है।