BJP ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. एकल पीठ ने लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया था.
मामले में पीठ ने पूछा कि आप इसे अगली अवकाशकालीन पीठ के पास क्यों नहीं ले जाते। BJP की ओर से पेश वकील सौरभ मिश्रा ने बताया कि हाई कोर्ट ने BJP को लोकसभा चुनाव के दौरान 4 जून तक विज्ञापन जारी करने पर रोक लगा दी है. वकील ने कहा कि कृपया आप मामले की सुनवाई 27 मई को करें तो पीठ ने कहा कि हम देखेंगे.
खंडपीठ ने ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने को कहा
BJP का कहना है कि 20 मई को सिंगल जज ने अपना फैसला सुनाया. 22 मई को हाई कोर्ट ने किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ‘लक्ष्मण रेखा’ के पालन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को व्यक्तिगत हमला नहीं करना चाहिए. खंडपीठ ने न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य के 20 मई के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसमें यह भी कहा गया कि BJP एकल पीठ के समक्ष जाकर अपने आदेश की समीक्षा करने या उसे वापस लेने का अनुरोध कर सकती है.
सुनवाई का मौका न देने का आरोप लगाया
BJP ने अपील दायर कर दावा किया था कि एकल पीठ ने उसे सुनवाई का कोई मौका दिए बिना ही यह आदेश जारी कर दिया. भगवा पार्टी के वकील ने यह भी कहा कि संविधान में प्रावधान है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए चुनाव आयोग उपयुक्त प्राधिकारी है.
4 जून तक विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक
हाईकोर्ट ने 20 मई को एक आदेश जारी कर BJP को 4 जून तक आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया था. लोकसभा चुनाव प्रक्रिया 4 जून को समाप्त हो जाएगी. आदेश में कोर्ट ने BJP को विज्ञापन प्रकाशित करने से भी रोक दिया था. जिन विज्ञापनों का जिक्र तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपनी याचिका में किया था. टीएमसी ने दावा किया था कि विज्ञापन में पार्टी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ असत्यापित आरोप लगाए गए थे।
अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता टीएमसी द्वारा संलग्न अखबार के विज्ञापनों पर नजर डालने से पता चलता है कि ये एमसीसी का उल्लंघन हैं। कोर्ट ने शिकायतों का तुरंत समाधान न करने पर चुनाव आयोग से नाराजगी भी जताई थी. टीएमसी की ओर से पेश वकील ने दलील दी थी कि BJP पार्टी को निशाना बनाते हुए कुछ अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर रही है, जो एमसीसी और चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।